Indian Criminal Justice System 2024 : देश में 30 जून, 2024 की मध्य रात्रि को ब्रिटिश हुकूमत के तीन आपराधिक कानूनों का अंत और भारतीय संसद द्वारा बनाये गये नये कानून के साथ एक जुलाई का अरुणोदय, Indian Criminal Justice System 2024 में एक नये युग का आगाज है।
आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) Bhartiye Judicial Code (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) Bhartiye Civil Defense Code (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) Bhartiye Evidence Act (BSA) एक जुलाई से लागू होंगे। ये कानून क्रमशः औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) Bhartiye Penal Code (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) Code of Criminal Procedure (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
Indian Criminal Justice System 2024 : नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एफआईC आर से लेकर अदालत के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जायेगी और भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश बन जायेगा। यह कानून तारीख-दर-तारीख के चलन की समाप्ति सुनिश्चित करेंगे और देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी, जिसके जरिये तीन वर्षों के भीतर न्याय मिलना सुनिश्चित हो सकेगा।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक सुलभ, जवाबदेह, भरोसेमंद और न्याय प्रेरित बनाने का प्रयास है। 600 से अधिक संशोधनों और कुछ जोड़ने एवं हटाने के साथ आपराधिक कानूनों को पारदर्शी, आधुनिक और तकनीकी तौर पर कुशल ढांचे में ढाला गया है, ताकि वे भारत की आपराधिक न्याय व्यवस्था को कमजोर करनेवाली मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम हों।
तीनों नये आपराधिक कानून को वर्ष 2023 में संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था। नये कानूनों के लागू होने के बाद पुलिस, जांच और न्यायिक व्यवस्था का चेहरा बदल जायेगा। कई तरह के मामलों में इन कानूनों का व्यापक असर पड़ेगा।
New technology will be used in Indian Criminal Justice System
नये कानूनों में जांच, ट्रायल और अदालती कार्यवाहियों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। नये कानूनों में पेश किये गये कुछ ठोस संशोधन केवल आरोपियों को दंडित करने के बजाय पीड़ित को न्याय देने को प्राथमिकता देकर हमारी सामूहिक चेतना को पुन: व्यवस्थित करने का प्रयास करते हैं। पीड़ित, गवाह और बड़े पैमाने पर जनता के अधिकारों और भलाई की रक्षा के लिए कुछ खास चीजें जोड़ी गयी हैं और संशोधन किये गये हैं।
इन तीनों कानूनों में जीरो एफआईआर, ऑनलाइन शिकायत एवं इलेक्ट्रानिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों में घटना स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी का प्रावधान शामिल हैं। कोई भी व्यक्ति थाने जाये बिना घटना की ऑनलाइन शिकायत कर सकेगा। पीड़ित क्षेत्राधिकार की चिंता किये बिना देश के किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है। सबूत एकत्र करने के दौरान घटना स्थल की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी करायी जायेगी, ताकि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न की जा सके।
पीड़ित और आरोपी दोनों को ही एफआईआर की कॉपी, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, स्वीकारोक्ति समेत मामले से जुड़े अन्य कागजात 14 दिन के भीतर हासिल करने के हकदार होंगे। मामले को बेवजह लंबा नहीं खींचा जा सके, इसकी भी व्यवस्था की गयी है। कोई भी अदालत मामले को अधिकतम दो सुनवाई तक ही टाल सकती है। गवाहों की सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया गया है।
इसके लिए सभी राज्य सरकारों को अनिवार्य रूप से गवाह सुरक्षा योजना लागू करनी होगी। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए बीएनएस में नया अध्याय जोड़ा गया है।
New section provisions added Indian Criminal Justice System 2024
कई धाराएं और प्रावधान बदल गये हैं। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, अब 356 बची हैं। 175 धाराएं बदल गयी हैं। आठ नयी जोड़ी गयीं, 22 धाराएं खत्म हो गयी हैं। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं बची हैं। 160 धाराएं बदली गयी हैं, नौ नयी जुड़ी हैं, नौ खत्म हुई हैं। पूछताछ से ट्रायल तक सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने का प्रावधान हो गया है, जो पहले नहीं था।
Indian Criminal Justice System Big Change : सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम तीन साल में देना होगा। भारतीय न्याय संहिता में 20 नये अपराध जोड़े गये हैं। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, हिट एंड रन, मॉब लिंचिंग पर सजा का प्रावधान। डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं। आईपीसी में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है। 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गयी है। 83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ा दी गयी है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता 163 साल पुरानी आईपीसी की जगह लेगी, जिससे दंड कानून में महत्वपूर्ण बदलाव आयेंगे। सजा के रूप में सामुदायिक सेवा एक उल्लेखनीय परिचय है। यौन अपराधों के लिए कड़े कदम उठाये गये हैं। कानून में उन लोगों के लिए दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है जो शादी का वादा करके धोखे से यौन संबंध बनाते हैं। संगठित अपराध में अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना, अनुबंध हत्या, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध और मानव, ड्रग्स, हथियार या अवैध सामान या सेवाओं की तस्करी शामिल है।
Provision for strict punishment on prostitution Indian Criminal Justice System
वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी, संगठित अपराध के रूप में परिभाषित करते हुए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भौतिक लाभ के लिए हिंसा, धमकी, डराने-धमकाने, जबरदस्ती या अन्य गैरकानूनी तरीकों से अंजाम दिये गये अपराधों के लिए कड़ी सजा दी जायेगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों के लिए नये कानून ने आतंकवादी कृत्य को ऐसी किसी भी गतिविधि के रूप में परिभाषित किया है, जो लोगों में आतंक फैलाने के इरादे से भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाती है।
पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जायेगी और जुर्माना भी देना होगा।
Indian Criminal Justice System CRPC : 1973 की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) Indian Civil Defense Code (BNSS) ने प्रक्रियात्मक कानून में महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं। एक महत्वपूर्ण प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिए है, जो पहली बार अपराध करने वालों को उनकी अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के बाद जमानत पाने की अनुमति देता है।
अब कम से कम सात साल की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थलों पर साक्ष्य एकत्र करें और रिकॉर्ड करें। यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा नहीं है, तो उसे दूसरे राज्य में सुविधा का उपयोग करना होगा।
नये कानून में भारत में आपराधिक न्याय प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण संशोधन किये गये हैं। विधेयक में विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं के लिए विशिष्ट समयसीमा निर्धारित की गयी है। बलात्कार पीड़ितों की जांच करनेवाले चिकित्सकों को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
Give decision within 30 days in Indian Criminal Justice System
बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर निर्णय सुनाया जाना चाहिए, जिसे 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति की जानकारी देनी होगी। सत्र न्यायालयों को ऐसे आरोपों पर पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना आवश्यक होगा।
साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में महत्वपूर्ण अपडेट पेश किये गये हैं। यह कहा जा सकता है कि भारतीय स्वभाव के अनुरूप कानून बनाने की दिशा में, नये आपराधिक कानून और अधिक पीड़ित-केंद्रित बनने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव के साथ लाये गये हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पीड़ितों के अधिकारों को कई तरीकों से परिभाषित और संरक्षित किया गया है, जो पीड़ितों को आपराधिक कार्यवाही में सक्रिय भागीदार बनाता है। 30 से अधिक ऐसे प्रावधान हैं, जो पीड़ितों के अधिकारों को प्रभावी ढंग से प्राथमिकता देते हुए उनकी रक्षा करते हैं।
Provision of death penalty on terrorist organizations in Indian Criminal Justice System
भारत की क्षेत्रीय अखंडता की अनुल्लंघनीयता को सुदृढ़ करना, पुलिस और न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास को मजबूत करना, सार्वजनिक पदाधिकारियों को समयबद्ध कार्रवाई के लिए बाध्य करना और उन्हें अधिक जवाबदेह बनाने के साथ-साथ आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत कर कुछ ऐसे आमूलचूल परिवर्तन हैं, जिनका उद्देश्य भारत के आपराधिक न्याय परिदृश्य में क्रमिक परिवर्तन को सुविधाजनक बनाना है।
आईपीसी (1860), सीआरपीसी (1973) और आइईए (1872) ब्रिटेनकी संसद, लंदन गजट, कॉमनवेल्थ, हर मेजेस्टी ऑर दप्रिवी काउंसिल, ‘हर मेजेस्टी गवर्नमेंट, कोर्ट ऑफ जस्टिस इन इंग्लैंड, हर मेजेस्टीज़ डोमिनियन आदि जैसी शब्दावली से भरे हुए थे। आजादी के 76 साल बाद भी राष्ट्र के प्राथमिक आपराधिक कानून में इस भाषा का बने रहना एक उपहास था, जिसे बहुत लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया।
Indian Criminal Justice System Sanskrit Name : नये आपराधिक कानूनों को पेश करना और संस्कृत नाम भारतीय न्याय संहिता (Indian Judicial Code), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ( Indian Civil Defense Code) , भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) ब्रिटिश राज से विरासत में मिली भारत की विरासत का अंत है और भारतीय लोकाचार के पुनरुत्थान की शुरुआत है।
इन नये कानूनों को लेकर भविष्य के कई प्रश्न भी उपजेंगे, बावजूद इसके सकारात्मक उम्मीद की जानी चाहिये कि ये कानून एक अधिक न्यायसंगत और सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए प्रयासरत राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप और भारतीय लोकतंत्र के लचीलेपन और लोगों की बदलती जरूरतों और मूल्यों के अनुरूप विकसित होने की क्षमता का प्रतीक साबित होंगे।
पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए, भारतीय संसद द्वारा बनाये गये कानूनों से चलेगी और पारदर्शी कानूनी प्रक्रियाओं के एक नये युग की शुरुआत होगी।
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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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