Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024 and embark on a captivating adventure steeped in tradition and splendour. Unveil the ancient wonders of this historic town nestled in Madhya Pradesh, India. Discover the timeless treasures of Khajuraho in 2024!
2024 में भी खजुराहो के कालातीत खजाने की प्रतीक्षा करें और परंपरा और भव्यता से भरपूर एक मनोरम साहसिक यात्रा पर निकलें। भारत के मध्य प्रदेश में स्थित इस ऐतिहासिक शहर के प्राचीन आश्चर्यों का अनावरण कर 2024 में खजुराहो के कालातीत खजानों की खोज करें!
आइए इस रविवार हम आपको लेकर चलते हैं विश्व प्रसिद्ध खजूराहो मंदिर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजूराहो लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर और मध्यप्रदेश के सतना से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खजूराहो का अपना एक एयरपोर्ट भी है जहां देश के प्रमुख हवाई अड्डे से नियमित उड़ानें भी उपलब्ध है।
आइए इस रविवार हम आपको लेकर चलते हैं विश्व प्रसिद्ध खजूराहो मंदिर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजूराहो लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर और मध्यप्रदेश के सतना से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खजूराहो का अपना एक एयरपोर्ट भी है जहां देश के प्रमुख हवाई अड्डे से नियमित उड़ानें भी उपलब्ध है।
छोटा सा शहर, पर पर्यटन के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण। छोटे- बड़े मंझोले होटलों के साथ ही साथ फाइव स्टार होटलों की भरमार। आने वाले पर्यटकों के जेब के अनुसार। प्राचीन समय में यह क्षेत्र वत्स के नाम से तो मध्यकाल में जेजाकभूकति के नाम से तथा 14 वीं सदी के पश्चात् बुन्देलखण्ड के नाम से जाना जाता है।
Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024 का चन्देलों से क्या सम्बन्ध है ?
खजुराहो को मूलतः चंदेलों ने बसाया था। चन्देल वंश की शुरुआत 10वीं सदी के आसपास हुईं थी और लगभग यही समय खजूराहो मंदिर के निर्माण का भी है। चंदेलों की राजधानी महलों, तालाबों तथा मन्दिरों से परिपूर्ण थी।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर 85 मन्दिर थे, परंतु वर्तमान में केवल 25 मन्दिर ही शेष हैं। हालांकि, अन्य पुरावशेषों के प्रमाण प्राचीन टीलों तथा बिखरे वास्तु खण्डों के रूप में आज भी खजूराहो तथा इसके आस-पास देखे जा सकते हैं। पन्द्रहवीं सदी के पश्चात् इस क्षेत्र की महत्ता समाज हो गई। दुर्गम क्षेत्र में होने की वजह से लोगों का ध्यान भी इधर नहीं रहा। शायद यह एक बहुत बड़ा कारण था कि खजूराहो का मंदिर बाहरी आक्रमणों और आक्रान्ताओ से लगभग बचा रहा।
Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024 : मंदिरो की व्याख्या
सामान्य रूप से यहां के मन्दिर बलुआ पत्थर से निर्मित किये गये हैं, परन्तु चौंसठ योगिनी, ब्रह्मा तथा ललगुवाँ महादेव मन्दिर कणाश्म से निर्मित है। यह मन्दिर शैव, वैष्णव तथा जैन पंथों से सम्बन्धित है। यहाँ के मन्दिरों की बनावट विशेष उल्लेखनीय है, यह मध्य भारत की स्थापत्य कला का सर्वोत्तम व विकसित नमूना प्रस्तुत करते हैं। यहाँ के मन्दिर बिना किसी परकोटे के ऊँचे चबूतरे पर निर्मित किये गये हैं। सामान्य रूप से इन मन्दिरों में गर्भगृह, अंतराल, मण्डप तथा अर्ध-मण्डप देखे जा सकते हैं।
खजुराहो के मन्दिर भारतीय स्थापत्य कला के उत्कृष्ट व विकसित नमूनें हैं, यहाँ की प्रतिमाएँ विभिन्न भागों में विभाजित की गई हैं, जिनमें प्रमुख प्रतिमा परिवार देवता एवं देवी-देवता, अप्सरा, विविध प्रतिमाएँ जिनमें मिथुन प्रतिमाएँ भी हैं तथा पशु व व्याल प्रतिमाएँ हैं, जिनका विकसित रूप कन्दारिया महादेव मन्दिर में देखा जा सकता है। सभी प्रकार की प्रतिमाओं का परिमार्जित रूप यहां स्थित मन्दिरों में देखा जा सकता है।
Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024 : मिथुन प्रतिमाएँ Khajuraho’s में क्यों ?
यहाँ मन्दिरों में जुड़ी हुई मिथुन प्रतिमाएँ सर्वोत्तम शिल्प कला की परिचायक हैं, जो कि दर्शकों की भावनाओं को उद्वेलित व आकर्षित करती हैं, और अपनी मूर्ति कला के लिए विशेष उल्लेखनीय है। खजुराहो के साथ ही साथ कन्दारिया महादेव, जगदम्बी, चित्रगुप्त, चतुर्भुज , पार्श्वनाथ, आदिनाथ, वामन, जवारी और भी कई मंदिर यहां है।
सामान्य जनमानस में खजूराहो के मंदिरों को लेकर एक प्यारी सी गलतफहमी है। उन्हें ऐसा लगता है कि इन मंदिरों का निर्माण सिर्फ और सिर्फ काम कला के विभिन्न आसनों को दिखाने के लिए किया गया है। शायद वात्स्यायन ने अपनी अमर कृति कामशास्त्र खजूराहो के मंदिरों के लिए ही लिखी थी।
हालांकि वात्स्यायन साहब ने खजूराहो के मंदिरों के बनने के बहुत पहले ही कामशास्त्र की रचना की थी। मनोविज्ञान कहता है हम सामान्य तौर पर बड़े ही छिछले स्तर पर चीजों को देखते हैं। और यह कोई अनहोनी बात भी नहीं है। सभी के अपने अपने सोचने और समझने के तरीके हैं। ज्ञान और आध्यात्म का स्तर सभी के लिए अलग अलग होते हैं।
Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024 का अध्यात्म से क्या सम्बन्ध है ?
मनुष्य के लिए संसार में मुख्यत: दो प्रकार के आनंद हैं। एक जब उसके शरीर के ऊर्जा नीचे की ओर प्रवाहित होती है अर्थात वह जब किसी के साथ इंटिमेट होता है। सभी जानते हैं, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, एक सांसारिक शौक है।
आनंद की अनुभूति का यह एक अलग ही अहसास है। यह एक आम अवस्था है। जब यही ऊर्जा ध्यान और ज्ञान के माध्यम से ऊपर की ओर जाती है तो वह उसके लिए आध्यात्मिक सुख होता है। यहां भी वह परमसुख का आनंद लेता है, जब उसकी भौतिक उर्जा आध्यात्मिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है तो उसका आनंद ही कुछ और है।
यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि आज़ से लगभग पन्द्रह सौ साल पहले हमारा समाज मानसिक और सांस्कृतिक तौर पर कितना विकसित रहा होगा। मंदिरों के दीवारों पर उत्कीर्ण मूर्ति कला इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
बाहरी दीवारों पर उत्कीर्ण मूर्ति कला उस वक्त के सामाजिक जीवन, सेना का विन्यास और काम शास्त्र के विभिन्न आसनों को दर्शाता है। मंदिरों के अंदर आप सिर्फ और सिर्फ आध्यात्मिक आवोहवा से ओतप्रोत होते हैं। खजूराहो के मंदिरों का एक अपना अलग ही दर्शन है। इतना आसान नहीं है उस दर्शन को समझना और आत्मसात करना।
✒ मनीश वर्मा’मनु’
FAQs – Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024
Q: What is the significance of Khajuraho in 2024?
A: Khajuraho in 2024 continues to captivate visitors with its timeless treasures, particularly its world-renowned temples boasting exquisite architecture and sculptures.
Q: How far is Khajuraho from major cities like Lucknow and Satna?
A: Khajuraho is approximately 300 kilometers away from Lucknow and about 100 kilometers from Satna, making it accessible for travelers from these regions.
Q: What is the historical background of Khajuraho?
A: Khajuraho, once known as Vatsa and later as Jejakabhukati, has a rich history dating back to the Chandela dynasty around the 10th century when the magnificent Khajuraho temples were constructed.
Q: Are the temples of Khajuraho solely focused on erotic art?
A: Contrary to popular misconception, the temples of Khajuraho encompass a diverse array of subjects beyond erotic art. They depict facets of social life, military configurations, and spiritual themes, offering a holistic reflection of ancient Indian society.
Q: What can visitors expect to experience inside the temples of Khajuraho?
A: Inside the temples, visitors encounter a serene and spiritually charged atmosphere. The sculptures and architectural elements create a profound sense of transcendence, offering a glimpse into the profound philosophical underpinnings of Khajuraho’s heritage.
Q: What distinguishes the sculptures of Khajuraho from other artistic depictions?
A: The sculptures of Khajuraho are renowned for their intricate craftsmanship and emotional resonance. Particularly noteworthy are the Gemini statues, which exemplify exquisite sculptural artistry and evoke strong emotional responses from spectators.
Await Khajuraho’s Timeless Treasures in 2024
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