Heatwave Havoc of 2024: 2024 की हीटवेव के कहर झुलसा देने वाले तापमान ने हमें हमारी सहन सीमा से परे धकेलदिया है। अपने की बचपन की लापरवाही भरी दिन को याद करने से लेकर अब विवाहित जीवन की कठोर वास्तविकताओं का सामना करने तक, निरंतर गर्मी के माध्यम से अपने यात्रा का अनुभव आपसे साझा कर रहे है। जून का महीना तो अभी दूर है। अभी अप्रैल में ही देखिये कैसे चिलचिलाती गर्मी हर दिन हमारे कर्तव्य की परीक्षा ले रही है।
यह प्रचंड गर्मी न केवल हमारे धैर्य की बल्कि हमारी आपकी दोस्ती की ताकत की भी परीक्षा लेती है, क्योंकि हम बढ़ते तापमान के कारण आने वाली चुनौतियों से निपटते हैं।
घर से दफ्तर के लिए निकलते हुए फिर से वही तीखी धूप। घर के अंदर पता नहीं चलता है। गरमी अपने प्रचंड पर। शायद अब तक का रिकॉर्ड तोड़कर ही मानेगी। सूर्य ने भी हार न मानने की कसमें खा ली है। कार के डैस बोर्ड के डिजिटल प्लेटफार्म पर बाहर का तापमान 44 बता रहा है। सहसा यकीन नहीं होता है। हमारे यहां का तापमान इतना ज्यादा भी हो सकता है।
Heatwave Havoc of 2024: कार का शीशा बंद और अंदर का तापमान लगभग 22 के आसपास। कार के अंदर धीरे-धीरे बजते हुए पुराने गानों के बीच मन पुरानी यादों में कहीं खो सा जाता है। उम्र ने हालांकि थोड़ा तेज खेलते हुए अर्धशतक पूरा कर लिया है। जी हां! कब बचपन बीता और कब कैसे कितनी तेजी से चलते हुए और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए हम इस मुकाम पर आ पहुंचे पता ही नहीं चला।
जब नववर्ष आता है तो अचानक से अहसास होता है, अच्छा एक साल और गुजर गया! देखते ही देखते उम्र के उस दौर में पहुंच गए हैं जहां पुरानी यादें बहुत सुकून पहुंचाती हैं। ऐसा लगता है मानो कल की बातें हों। वक्त अचानक से ठहर सा जाता है। हम पुरानी यादों को वहीं कुछ देर खड़े होकर, एल्बम में रखे फोटो की मानिंद आगे बढ़ा-बढ़ाकर देख रहे हैं। सब कुछ आंखों के सामने एक चलचित्र की तरह चलने लगता है।
अल्हड़, आवारा जिन्दगी थी अपनी। कोई चिंता कोई फिक्र नहीं। क्या पहनना है और क्या खाना है कोई खास च्वाइस नहीं। कुछ भी पहन लिया और कुछ भी खा लिया। पिताजी का होटल चल ही रहा था, चिंता किस बात की। आज थोड़ी नफासत सी आ गई है। पर, देखिए ना मन तो आज भी वही पुरानी यादों में खोया हुआ है।
Heatwave Havoc of 2024 के लू का कहर कभी हमारे बचपन के साल 1970 – 1975 में नहीं पड़ा
गरमी उस वक्त भी पड़ती थी। क्या खूब गरमी पड़ती। गर्म हवा जिन्हें हम ‘लू’ कहते हैं उस वक्त भी घातक हुआ करती थी। शरीर को भेदती हुई गर्म हवाएं। पर अपने पर विशेष फर्क नहीं पड़ता था। उम्र का असर था शायद। हां, हमारे मां-पिताजी को जरूर फर्क पड़ता था तापमान कितना रहता था पता नहीं चलता था। मौसम विभाग श्री शायद उस वक्त उतना चुस्त दुरुस्त नहीं हुआ करता था शायद।
पल पल की खबर देनेवाले खबरिया चैनल भी नहीं थे उस वक्त जो वक्त बेल आकर बता जाते, भाई तापमान ने अब तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ब्रेकिंग न्यूज नहीं बनता था। गर्मी उस वक्त भी सताती थी, आज भी सताती है। पर एक फर्क है। उस वक्त हम यह नहीं सोचते थे कि एसी में बैठना या सोना है। आज तो हम गुलाम बनकर रह गए हैं।
Heatwave Havoc of 2024: हमारा शरीर उस वक्त अपने आप को शारीरिक और मानसिक तौर पर वायुमंडल के अनुकूल बना लिया करता था। याद है मुझे यो दिन जब गरमी की तपती दुपहरिया में, जब पछुवा हवा अपने प्रचंड वेग से चल रही होती थी तो हम सभी दोस्त मैदान में टेनिस बॉल क्रिकेट खेला करते थे। अमुमन टेनिस बॉल क्रिकेट गरमी में ही खेला जाता था। ठंड का मौसम तो लेदर बॉल क्रिकेट के लिए ही आरक्षित रहता था।
मैदान के किसी कोने में अगर कोई पेड़ होता था तो यह हमारा सम्मिलित रूप में ‘डग आऊट ‘ हुआ करता था। कहां था वो बोतल बंद पानी, अमुल और सुधा का पैकटों में मिलता मसाला छाछ। उस वक्त तो नाम भी नहीं सुने थे। बस इधर उधर करके पानी का इंतजाम कर प्यास बुझा लिया करते थे। मैच के आयोजन कर्ता से भी ज्यादा उम्मीदें नहीं। बड़ी बेपरवाह और सरल जिंदगी थी हमारी। कहीं जाना है तो जाना है। मौसम हमारा रास्ता नहीं रोक सकती थी।
Heatwave Havoc of 2024: साइकिल निकाले, किसी दोस्त को उसपर बिठाया और निकल पड़े। बाइक या स्कूटर अपने पास नहीं है कोई फर्क नहीं। स्कूटर ने पिताजी ने जिस दिन ग्रेजुएशन का रिजल्ट निकला था उस दिन बड़ी मशक्कत से बैंक से लोन लेकर मुझे बिना बताए खरीद कर दिया था।
आज भी उस दिन को याद कर भावुक हो जाता हूं। एक दिन वो भी था जब पिताजी मुझे बिना बताए एच एम टी घड़ी के शोरूम में ले जाकर मुझे बोले अपने पसंद से एक घड़ी ले लो। कहां गए वो दिन। आज जब भी मैं चाहूं महंगी से महंगी घड़ी खरीद सकता हूं पर वो दिन भुलाए नहीं भूलते हैं।
खैर! हम सभी गरमी पर बातें कर रहे थे वह भी Heatwave Havoc of 2024 पर
हम सभी प्रचंड गरमी की बातें कर रहे हैं पर अपने अपने एयरकंडीशन कमरे में बैठकर। घर में एयरकंडीशन, कार में एयरकंडीशन और दफ्तर में एयरकंडीशन। क्या हक बनता है हमें इस संदर्भ में बात करने का। हल्का सा गरमी में एक्सपोज हुए और गरमी सताने लगी। शाम में घर पहुंचे. टी वी ऑन किए तभी ब्रेकिंग न्यूज “आज तापमान ने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया’ बस्स अब हो गए गरमी से परेशान और हलकान।
Heatwave Havoc of 2024: बातें करने लगे प्रचंड गरमी की। कभी उन मेहनतकश लोगों के बारे में बातें कर लिजिए जिन्हें हम और आप तमाम एक्सट्रीम के बाद भी पुरे आठ घंटे काम करने को कहते हैं। उन्हें तो करना ही है वरना उनके घरों में रात का चूल्हा नहीं जलेगा। उन लोगों के बारे में सोचिए जिन्हें अपनी नौकरी सड़कों पर निभानी है। कोई भी मौसम हो. कितना ही बेदर्द क्यों न हो। मनु पेट का सवाल है वरना किसे अच्छा नहीं लगता है आराम से एयरकंडीशन कमरे में बैठकर मौसम का मजा लेना।
FAQ For “Heatwave Havoc of 2024”
Q. क्या अप्रैल २०२४ के बाद गर्मी की लहरें (Heatwave Havoc of 2024) और अधिक बढ़ेंगी?
Ans. हाँ , ये बिलकुल निश्चित है , आगे आने वाले महीने लू और भयानक रूप में गर्मी बढ़ाएगी। यह लू वाली गर्मी मनुष्यों के साथ जानवरों पर भी भयानक दुष्प्रभाव दिखाएगी। क्योंकि ग्रीनहाउस कार्बन उत्सर्जन में लगातार वृद्धि हो रही है। जिसके कारण सदी के मध्य तक अधिकांश क्षेत्रों में दैनिक उच्च और निम्न तापमान में कम से कम ३ से ५ डिग्री फ़ारेनहाइट की वृद्धि होगी, जो सदी के अंत तक 7 डिग्री फ़ारेनहाइट तक बढ़ सकती है।
“Heatwave Havoc of 2024” के लेखक ✒ मनीश वर्मा’मनु’ जी है। लेखक मनीष वर्मा ने और अच्छी लेखनी की है, जो हमारे वेबसाइट nutancharcha.org पर उपलब्ध है। निचे आपको लिंक सहित सभी आलेख प्रदर्शित कर रहा हूँ।