अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में हाल ही में एक नया मोड़ आया है। अमेरिकी सरकार ने भारत पर प्रस्तावित 25% टैरिफ को तत्काल प्रभाव से लागू करने की बजाय, इसकी शुरुआत को एक सप्ताह के लिए टाल दिया है। पहले यह टैरिफ 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होना था, लेकिन अब इसे 7 अगस्त तक के लिए स्थगित किया गया है।
इस फैसले को वैश्विक व्यापार समुदाय ने एक रणनीतिक कदम माना है, जिससे भारत सहित कई देशों को अमेरिका के साथ लंबित व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने का समय मिल गया है। भारत सरकार के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों की एक टीम अगस्त के मध्य में नई दिल्ली पहुंचने वाली है ताकि द्विपक्षीय वार्ता को आगे बढ़ाया जा सके। दोनों पक्षों के बीच पिछली कई बैठकों में कई बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई थी, लेकिन अब बातचीत के फिर से तेज होने की संभावना है।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश, अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन और पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए तैयार है। सरकार को उम्मीद है कि 7 अगस्त से पहले कोई सकारात्मक सहमति बन सकती है, जिससे टैरिफ लागू करने की नौबत टल सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एक राजनीतिक दबाव का तरीका भी हो सकता है, जिससे अमेरिका अन्य देशों से अधिक रियायतें हासिल करना चाहता है। भारत की ओर से भी रणनीतिक चुप्पी बरती जा रही है, लेकिन अंदरखाने गहन बातचीत जारी है।
यदि यह टैरिफ लागू होता है, तो भारत का अमेरिका को होने वाला निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। एक अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का कुल निर्यात 30% तक गिर सकता है। वर्तमान में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, खासकर फार्मास्यूटिकल्स, ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों में।
हालांकि कुछ अहम क्षेत्रों को संभावित छूट मिलने की संभावना है, लेकिन अधिकांश वस्तुओं पर प्रभाव पड़ेगा। यह भारत के छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए विशेष चिंता का विषय है जो पहले से ही वैश्विक मंदी और सप्लाई चेन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच उच्च स्तर की सीधी बातचीत होती है, तो स्थितियाँ जल्द सुधर सकती हैं। ऐसे संवाद से न केवल व्यापारिक गतिरोध हल हो सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी यह सकारात्मक संदेश जाएगा।
फिलहाल भारत के पास कुछ ही दिन हैं। अगर वार्ता सफल रही, तो टैरिफ से राहत मिल सकती है, वरना 7 अगस्त के बाद बड़ा आर्थिक झटका झेलने के लिए देश को तैयार रहना होगा। यह आने वाले दिनों में भारत की व्यापार नीति की दिशा तय करने वाला निर्णायक क्षण साबित हो सकता है।








