SC का निर्देश: 1 सितंबर के बाद भी वोटर लिस्ट में सुधार संभव

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By Abhishek Kumar

प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले में कई मुद्दे हैं, एक मुद्दा आपत्ति का समय बढ़ाने के लिए भी है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक तो आपत्ति दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने के लिए है, वहीं दूसरा 22 अगस्त के आदेश की पब्लिसिटी के लिए है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आधार को वैरीफिकेशन के उद्देश्य से एक दस्तावेज की तरह होगा.

नई दिल्ली:

बिहार SIR मामले मे राष्ट्रीय जनता दल और बाकियों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. बिहार में SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश दिया है. अब 1 सिंतबर के बाद भी आपत्तियां स्वीकार की जाएगी. जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं है उनकी मदद के लिए वॉलंटियर्स नियुक्त होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों और हटाए गए मतदाताओं को दावे दायर करने में मदद के लिए पैरा लीगल वॉलंटियर्स नियुक्त किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह व्यक्तियों, दलों को दावे और आपत्तियां दर्ज करने में मदद करने के लिए पैरा लीगल वॉलेंटियर्स की नियुक्ति करे.

आधार पर क्या कुछ कहा

जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि आधार को सत्यापन के उद्देश्य से एक दस्तावेज़ के रूप में लिया जाएगा, लेकिन यह केवल पहचान के प्रमाण के रूप में होगा. उन्होंने कहा कि अदालत आधार की स्थिति को किसी बड़ी पीठ के फैसले या आधार अधिनियम की धारा 9 से आगे नहीं बढ़ा सकती. प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि पहले आधार स्वीकार नहीं किया जा रहा था, लेकिन अब अदालत के आदेश के बाद इसे 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से एक के रूप में ज़ोर दिया जा रहा है. चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5% लोगों ने दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं, लेकिन यह हैरानी की बात है कि ज़्यादातर राजनीतिक दल और मतदाता नाम हटाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, जोड़ने के लिए नहीं.


पैरा लीगल वॉलंटियर्स नियुक्ति

जस्टिस सूर्यकांत ने दोहराया कि चुनाव आयोग की मैनुअल प्रक्रिया एक संस्थागत प्रतिबद्धता है और उसका पालन किया जाना चाहिए. प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि आयोग इसका पालन नहीं कर रहा है. सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह राजनीतिक दलों और हटाए गए मतदाताओं को दावे और आपत्तियां दर्ज करने में मदद के लिए पैरा लीगल वॉलंटियर्स नियुक्त करे. RJD ने मतदाताओं को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर आपत्ति जमा करवाने, दावा करने की अंतिम तारीख (1 सितंबर) को बढ़ाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है. याचिका में कहा गया है कि 22 अगस्त की सुनवाई से पहले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए करीब 84305 लोगों ने अपना दावा पेश किया था, उसके बाद 27 तारीख को यह संख्या करीब दो गुनी (1,78,948) हो गई है.

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याचिका में क्या कुछ कहा गया

याचिका में कहा गया है कि बहुत सी जगह पर सिर्फ आधार कार्ड वाले लोगों के दावे को चुनाव अधिकारी स्वीकार नहीं कर रहे हैं. प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले में कई मुद्दे हैं, एक मुद्दा आपत्ति का समय बढ़ाने के लिए भी है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक तो आपत्ति दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने के लिए है, वहीं दूसरा 22 अगस्त के आदेश की पब्लिसिटी के लिए है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आधार को वैरीफिकेशन के उद्देश्य से एक दस्तावेज की तरह होगा.

प्रशांत भूषण ने कहा कि कई मुद्दे हैं, शनिवार को कुछ आवेदन दायर किए गए थे जिन्हें सूचीबद्ध नहीं किया जा सका.

  • एक मुद्दा आवेदन दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने से संबंधित है.
  • दूसरा आदेशों का प्रचार-प्रसार, मतदाताओं को सूचित करना आदि.
  • तीसरा, यदि मतदाता के पास आधार कार्ड है तो प्रविष्टि न हटाने से संबंधित है

पिछले आदेश में कहा गया था कि जब दावे और आपत्तियां दायर की जाएंगी, तो आधार भी दायर किया जाएगा. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सत्यापन के लिए आधार को एक दस्तावेज़ के रूप में लिया जाएगा. भूषण ने कहा कि यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि आधार होगा. उन्होंने मतदाताओं से प्राप्त फ़ॉर्म भी अपलोड नहीं किए हैं. जब तक मैं यह न देख लूं कि कौन से फ़ॉर्म प्राप्त हुए हैं.

आधार कार्ड की धारा 9 के बारे में स्पष्ट होना होगा

जस्टिस कांत ने कहा कि हमें आधार कार्ड की धारा 9 के बारे में स्पष्ट होना होगा. ⁠आधार कार्ड से जो भी मूल्य जुड़ा है, उसे स्वीकार किया जाना चाहिए. भूषण ने कहा कि उन्होंने मतदाताओं को वह नहीं दिया है जो उनसे प्राप्त हुआ है. जब तक मुझे यह पता न हो… उन्होंने पहले चरण में आधार स्वीकार नहीं किया था. चुनाव – 7.24 करोड़ में से 99.5 फीसदी लोग दस्तावेज दाखिल कर चुके हैं. ये हैरानी की बात है कि पार्टियां नाम हटाने के लिए सूची दे रहे हैं ना कि नाम जोड़ने के लिए.

आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमने कहा है कि आधार दस्तावेज़ों में से एक होना चाहिए, लेकिन ध्यान रखें कि हम आधार की स्थिति को किसी बड़ी पीठ द्वारा दिए गए फ़ैसले और आधार अधिनियम की धारा 9 में कही गई बातों से नहीं बढ़ा सकते कि ये  केवल पहचान के प्रमाण के रूप में है. भूषण ने कहा कि वे पहले आधार स्वीकार नहीं कर रहे थे. अब अदालत के आदेश के बाद वे आधार के साथ 11 सूचीबद्ध दस्तावेज़ों में से एक पर भी ज़ोर दे रहे हैं.  चुनाव आयोग ने 7.24 करोड़ लोगों में से 99.5% लोगों ने दस्तावेज़ जमा किए हैं.

ज़्यादातर राजनीतिक दल और मतदाता दस्तावेज़ों को हटाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, शामिल करने के लिए नहीं, यह बहुत अजीब है. जस्टिस कांत ने कहा कि हम दोहराते हैं कि [मैनुअल] में जो भी प्रक्रिया निर्धारित की गई है, वह चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता है, उसका पालन किया जाना चाहिए. भूषण ने कहा किवे उसका पालन नहीं कर रहे हैं 

चुनाव आयोग ने कहा कि वे 30 सितंबर के बाद भी आवेदन दाखिल कर सकते हैं. जो भी नाम शामिल होंगे, उन्हें मतदाता सूची में शामिल कर लिया जाएगा. अगर तारीख आगे बढ़ाई गई, तो यह एक अंतहीन प्रक्रिया होगी. भूषण ने कहा कि एक और गंभीर समस्या है. जस्टिस कांत ने कहा कि कोई मुश्किल नहीं है, आप आवेदन जमा करना जारी रख सकते हैं. भूषण ने कहा कि अदालत ने आधार को शामिल करने का आदेश 22 अगस्त को दिया था. बिहार में बाढ़ भी आई है. इससे भी गंभीर समस्या यह है कि वे पारदर्शिता संबंधी अपने ही निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. ⁠मुझे नहीं पता कि उन्होंने मेरा कौन सा फॉर्म अपलोड किया है.

Abhishek Kumar is the editor of Nutan Charcha News. Who has been working continuously in journalism for the last many years? Abhishek Kumar has worked in Doordarshan News, Radio TV News and Akash Vani Patna. I am currently publishing my news magazine since 2004 which is internationally famous in the field of politics.


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