नेपाल में अशांति का दौर: आंदोलन, जेलब्रेक और कूटनीतिक तनाव

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By Abhishek Kumar

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नेपाल इस समय गंभीर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। लंबे समय से स्थापित राजनीतिक स्थिरता, जिसे लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक माना जा रहा था, अचानक से डगमगा गई है। राजधानी काठमांडू सहित ललितपुर और देश के अन्य क्षेत्रों में जनता का गुस्सा सड़कों पर बेकाबू हो गया है। प्रदर्शनों की आग इतनी भड़क गई है कि यह केवल सरकारी इमारतों तक सीमित नहीं रही। आक्रोशित भीड़ ने मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया है।

ललितपुर की नक्खू जेल से 1500 कैदियों का एक साथ फरार होना, कई पुलिस अधिकारियों की जान जाना, और देश का मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पूरी तरह ठप पड़ जाना, इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है। यह सिर्फ एक देश की आंतरिक समस्या नहीं रह गई है। इसका असर भारत और पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की राजनीति पर भी पड़ रहा है। भारत ने तत्काल कदम उठाते हुए दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास की सुरक्षा कड़ी कर दी है। काठमांडू के लिए सभी उड़ानें भी फिलहाल रद्द कर दी गई हैं।


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कांतिपुर मीडिया ग्रुप नेपाल का सबसे बड़ा और प्रभावशाली मीडिया संस्थान है। यह समूह हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में सबसे आगे रहा है। ऐसे में, जब प्रदर्शनकारियों ने इसके कार्यालयों में आग लगा दी, तो यह घटना केवल एक इमारत पर हमला नहीं थी। यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ, यानी स्वतंत्र मीडिया पर सीधा और बर्बर प्रहार था।

मीडिया समाज का आईना होता है। जब जनता का गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि वह इस आईने को ही तोड़ दे, तो यह स्पष्ट संकेत है कि समाज में अविश्वास और असंतोष की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं। कांतिपुर पर हुआ हमला दर्शाता है कि यह आंदोलन अब सिर्फ सरकार के खिलाफ नहीं रहा। यह पूरी व्यवस्था के खिलाफ एक व्यापक असंतोष में बदल गया है।

ललितपुर की नक्खू जेल को नेपाल की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक माना जाता था। यहां से 1500 कैदियों का एक साथ भाग निकलना एक अभूतपूर्व और चिंताजनक घटना है। इस समूह में हत्या, लूटपाट, नक्सलवाद और राजनीतिक हिंसा जैसे गंभीर अपराधों में शामिल अपराधी शामिल बताए जा रहे हैं।

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इस कैदी कांड की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के अध्यक्ष रबि लामिछाने भी इसी जेल में कैद थे। उनका जेल से गायब होना स्थिति को और भी जटिल बना सकता है। उनके विरोधियों का आरोप है कि यह पूरी घटना पूर्व-नियोजित थी। वे कहते हैं कि जेल प्रशासन की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी संख्या में कैदियों का भागना संभव नहीं है।

इतनी बड़ी संख्या में कैदियों का भाग जाना नेपाल की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। यह आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा करता है। अब संभावना है कि राजधानी और अन्य जिलों में इन फरार कैदियों की तलाश के लिए सेना को भी तैनात किया जा सकता है।

काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो नेपाल का मुख्य अंतरराष्ट्रीय प्रवेश द्वार है, पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। यह निर्णय सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया है। ऐसी आशंका है कि प्रदर्शनकारी हवाई अड्डे पर भी कब्जा करने की कोशिश कर सकते थे।

हवाई अड्डे के बंद होने का सीधा असर नेपाल के पर्यटन और व्यापार पर पड़ेगा। नेपाल की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है। विदेशी पर्यटकों का आना-जाना बंद होने से देश को करोड़ों डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा।

भारतीय एयरलाइन एअर इंडिया ने भी दिल्ली-काठमांडू के बीच अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं। यह केवल नेपाल की समस्या नहीं है। यह पूरे दक्षिण एशिया के परिवहन नेटवर्क को प्रभावित करने वाली घटना है।

काठमांडू की कोटेश्वर पुलिस चौकी पर तैनात तीन पुलिस अधिकारियों की मौत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हालात अब सामान्य हिंसक विरोध प्रदर्शनों से कहीं अधिक खतरनाक हो चुके हैं। पुलिस चौकी पर हमला करना यह दर्शाता है कि प्रदर्शनकारी अब सीधे राज्य के प्रतीकों को चुनौती दे रहे हैं।

नेपाली पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की। हालांकि, हथियारबंद भीड़ और भाग निकले कैदियों के संगठित गिरोहों के सामने उनकी ताकत कमजोर साबित हुई। इस वजह से आम नागरिकों में भय का माहौल है।

नेपाल सरकार ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए देशभर के स्कूलों में दो दिन की छुट्टी घोषित कर दी है। यह फैसला बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लिया गया है। हालांकि, शिक्षा पर इसका गहरा असर पड़ेगा। नेपाल का शैक्षणिक ढांचा पहले से ही लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और बंद-हड़ताल से प्रभावित रहा है। इस बार भी छात्र सबसे ज्यादा नुकसान झेल रहे हैं।

नेपाल के इस मौजूदा संकट की जड़ें गहरी राजनीतिक अस्थिरता में हैं। 2015 में नया संविधान लागू होने के बाद भी कई जातीय और क्षेत्रीय समूह असंतुष्ट हैं। देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था का लगातार गिरना भी लोगों के गुस्से का कारण है। जनता का राजनीतिक दलों पर से भरोसा उठ चुका है। नेपाल की राजनीति में भारत, चीन और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी विवाद है। इन सभी कारणों ने मिलकर जनता के गुस्से को विस्फोटक बना दिया है।

रबि लामिछाने एक जाने-माने टीवी पत्रकार थे। उन्होंने राजनीति में आकर राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) की स्थापना की। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं।

Abhishek Kumar is the editor of Nutan Charcha News. Who has been working continuously in journalism for the last many years? Abhishek Kumar has worked in Doordarshan News, Radio TV News and Akash Vani Patna. I am currently publishing my news magazine since 2004 which is internationally famous in the field of politics.


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