राजधानी पटना की सड़कों और गलियों में सफाई व्यवस्था को बनाए रखने वाले नगर निगम कर्मी अब अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर हैं। पटना नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी महासंघ ने घोषणा की है कि 21 अगस्त से सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इससे शहर की स्वच्छता और जनजीवन पर बड़ा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
नगर निगम कर्मियों का कहना है कि लंबे समय से उनकी जायज मांगों की अनदेखी हो रही है। प्रमुख मांगों में शामिल हैं दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की सेवा को स्थायी करना। निजीकरण की प्रक्रिया को समाप्त करना। नियमित बहाली की व्यवस्था करना। पदानुसार वेतनमान उपलब्ध कराना। सेवानिवृत्त और मृत कर्मियों के परिजनों को लंबित बकाया राशि का शीघ्र भुगतान। कर्मचारियों का आरोप है कि नगर निगम प्रशासन और राज्य सरकार केवल आश्वासन देती रही है, लेकिन वास्तविक कार्रवाई नहीं की गई।
![]()
हड़ताल को सफल बनाने के लिए कर्मियों ने मोहल्ला स्तर पर प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। पोस्टर, बैनर और जनसम्पर्क अभियान के जरिए वे आम नागरिकों को भी इस आंदोलन से अवगत करा रहे हैं। उनका कहना है कि यह संघर्ष केवल कर्मचारियों के हक के लिए नहीं है, बल्कि शहर की सेवा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भी जरूरी है।
अगर 21 अगस्त से हड़ताल शुरू होती है, तो शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा सकती है। कचरा उठाव ठप हो जाएगा, जिससे सड़कों और मोहल्लों में गंदगी फैलने की आशंका है। डेंगू और मलेरिया जैसे मौसमी रोगों के बढ़ते खतरे के बीच यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। नगर निगम की अन्य सेवाएं जैसे जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइट की मरम्मत और अन्य तकनीकी कार्य भी प्रभावित होंगे।
नगर निगम प्रशासन इस आंदोलन को लेकर सतर्क हो गया है। सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने आपात बैठकें बुलाकर वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार शुरू कर दिया है। हालांकि कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा।
शहरवासियों का कहना है कि सफाई कर्मी दिन-रात मेहनत करते हैं और उन्हें स्थायी नौकरी और उचित वेतन मिलना चाहिए। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को ही होगा।
पटना नगर निगम कर्मियों की यह हड़ताल केवल रोजगार और वेतनमान का मुद्दा नहीं है, बल्कि शहर की स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वच्छता व्यवस्था से भी सीधा जुड़ा है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन किस तरह इस समस्या का समाधान निकालते हैं और हड़ताल को टाल पाते हैं या नहीं।








