इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश ईरान के सभी परमाणु ठिकानों पर अकेले भी हमला करने में सक्षम है। उन्होंने साफ शब्दों में यह चेतावनी दी है कि अगर जरूरत पड़ी, तो इज़राइल किसी की इजाजत का इंतजार नहीं करेगा। नेतन्याहू ने यह बयान तब दिया जब इज़राइल का “ऑपरेशन राइजिंग लायन” अपने सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है और ईरान के कई सामरिक ठिकानों पर हमले हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इज़राइल की सैन्य और खुफिया ताकत इतनी मजबूत है कि वह ईरान के फोर्डो और नतांज जैसे परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों पर सटीक वार कर सकता है। मिसाइल लॉन्चरों का बड़ा हिस्सा पहले ही नष्ट किया जा चुका है। नेतन्याहू का कहना है कि हमलों का उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमताओं को खत्म करना है, न कि वहां की सरकार को गिराना, लेकिन यदि नेतृत्व परिवर्तन एक प्राकृतिक परिणाम के रूप में आता है, तो इज़राइल को कोई आपत्ति नहीं होगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अयातुल्ला खमेनेई तक को “सुरक्षित नहीं” माना जा सकता है। नेतन्याहू के शब्दों में—”कोई भी अछूता नहीं है।” यानी कि अगर ईरान की ओर से परमाणु खतरा बना रहा, तो ईरान के सर्वोच्च नेता भी निशाने पर हो सकते हैं।
इस पूरे मुद्दे में अमेरिका का नाम आते ही नेतन्याहू ने साफ किया कि इज़राइल को किसी “ग्रीन सिग्नल” की जरूरत नहीं है। यदि अमेरिका या कोई अन्य मित्र देश साथ देता है, तो इज़राइल उसका स्वागत करेगा, लेकिन अगर नहीं भी देते, तो इज़राइल अकेले ही कार्रवाई करने के लिए तैयार है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है और इज़राइल व ईरान के बीच सीधी टक्कर की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों देशों के बीच जारी इस संघर्ष में अब सैन्य कार्रवाई, मिसाइल हमले और परमाणु हमलों की धमकियां सामने आ रही हैं। नेतन्याहू का यह रुख बताता है कि अब कूटनीति की बजाय प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ चुके हैं।
ऐसे में आने वाले दिन न केवल इज़राइल और ईरान के लिए, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया और दुनिया के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। नेतन्याहू की बातों में स्पष्ट संदेश है—अब इज़राइल इंतजार नहीं करेगा, वह हमले के लिए पूरी तरह तैयार है, चाहे कोई साथ दे या न दे।