सितंबर 2025, रविवार को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण (Total lunar eclipse) लगने जा रहा है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक यह पूर्ण चंद्र ग्रहण काफी शक्तिशाली है. यह पितृपक्ष के दौरान पड़ रहा है, जो न केवल रात के समय आकाश को प्रभावित करता, बल्कि हमारी आत्मा को भी प्रभावित करता है
रविवार 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण को गंभीरता से इसलिए लिया जा रहा है, क्योंकि यह ग्रहण 100 वर्षों में एक बार आता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर उसकी रोशनी को रोक देती है. इस दौरान चंद्रमा ब्लड मून की तरह दिखाई देता है.
चंद्र ग्रहण को लेकर सनातन धर्म का नजरिया

सनातन परंपराओं के मुताबिक ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इस दौरान पूजा-पाठ करने की भी मनाही होती है. शास्त्रों के अनुसार ग्रहणकाल के दौरान नकारात्मक ऊर्जा काफी ज्यादा सक्रिय हो जाती है.
इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण और भगवान को स्नान कराया जाता है. साल का दूसरा चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष के दौरान घटित हो रहा है. यह मौका पूर्वजों के सम्मान का एक बेहद ही खास ब्रह्मांडीय संयोग है.
चंद्र ग्रहण के दौरान रखें इन बातों का ध्यान-
विषाक्त पदार्थ और भोजन

क्या आपको पता है कि ग्रहण के दौरान सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे भोजन तामसिक और विषाक्त हो जाता है. प्राचीन शास्त्रीय विज्ञान विषाक्त पदार्थों को बेअसर करने के लिए पके हुए अनाज में तुलसी के पत्ते रखने की सलाह देते हैं.
मंत्रों का प्रभाव 1000 गुना शक्तिशाली
चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव काफी ज्यादा बढ़ जाता है. इस वजह से ग्रहण काल के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के साथ गायत्री मंत्र और भगवान का नाम जप करना चाहिए.
ग्रहण काल में मंदिर के कपाट बंद

ग्रहण काल के दौरान सभी मंदिरों के कपाट को बंद कर दिया जाता है. ग्रहण हटने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण करने के साथ धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है.
सूतक काल एवं ग्रहण समय
ग्रहण काल शुरू होने से करीब 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है. भारतीय समयानुसार ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर रात 1 बजकर 26 मिनट 8 सितंबर को खत्म होगा.
वही बल्ड मून रात 11 बजे से 12 बजकर 22 मिनट के बीच देखने को मिलेगा.
गर्भवती महिलाओं ग्रहण काल में बरतें सावधानियां
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घर के अंदर रहें, और तो और ग्रहण को नहीं देखें.
नुकीली वस्तुओं कैंची, चाकू और सूई जैसी चीजों का इस्तेमाल करने से बचें.
गर्भवती महिलाओं को ग्रहणकाल के दौरान सोना नहीं चाहिए. इसकी जगह जप और प्रार्थना करें.
ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
ग्रहणकाल खत्म होने के बाद क्या करें?
ग्रहण समाप्त होने पर, कुछ पवित्र कार्य करना महत्वपूर्ण है। यह समय शुद्धि और पुनरारंभ का प्रतीक है।
गंगाजल मिले जल से स्नान करें। यह शुद्धि का एक शक्तिशाली तरीका है। गंगाजल को पवित्र माना जाता है। यह पापों को धो देता है। इस जल से स्नान करना मन और शरीर को शुद्ध करता है। यह आपको नई ऊर्जा देता है।

अपने कपड़े धोएं और घर को साफ करें। यह भौतिक शुद्धि है। गंदे कपड़े और अशुद्ध वातावरण नकारात्मकता ला सकते हैं। सफाई से घर में सकारात्मकता आती है। यह ग्रहण के बाद की अशुद्धियों को दूर करता है।
जरूरतमंदों को भोजन दान करें। दान एक नेक कार्य है। ग्रहण के बाद दान करना विशेष फलदायी होता है। यह आपकी आत्मा को शुद्ध करता है। यह दूसरों की मदद करता है। जरूरतमंदों को अन्नदान से पुण्य मिलता है।
ईश्वर का नाम जपें और प्रार्थना करें। यह आध्यात्मिक शुद्धि है। ग्रहण के दौरान कुछ नियम होते हैं। ग्रहण समाप्त होने पर प्रार्थना करें। ईश्वर का नाम जपना मन को शांत करता है। यह आपको सद्गति की ओर ले जाता है। भगवान से क्षमा याचना करें। उनकी कृपा मांगें। यह आपको शांति और समृद्धि प्रदान करेगा।








