नगरपालिका प्रशासन किसी भी राज्य के नगरीय विकास और नागरिक सेवाओं की रीढ़ होती है। लेकिन अक्सर इसकी कार्यप्रणाली पर पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि में बिहार सरकार ने ‘बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम 2025’ लागू किया है, जिसकी अधिसूचना विधि विभाग द्वारा जारी कर दी गई है। यह संशोधन बिहार के शहरी निकायों के प्रशासन को और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह तथा प्रभावी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।
संशोधित अधिनियम के अनुसार, अब नगरपालिका प्रशासन से जुड़े सभी कार्यपालक कृत्य (Executive Functions) मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO) में निहित होंगे। इसका अर्थ है कि अब विकास कार्यों, प्रशासनिक निर्णयों और जनसुविधाओं के संचालन में मुख्य भूमिका मुख्य नगरपालिका अधिकारी की होगी। वे सशक्त स्थायी समिति की निगरानी में कार्य करेंगे तथा अधिनियम, नियमों और उपविधियों का पालन सुनिश्चित करेंगे। इससे प्रशासनिक स्तर पर जवाबदेही बढ़ेगी और मनमानी की गुंजाइश कम होगी।
नगरपालिका की बैठकों में अब केवल पार्षद ही नहीं, बल्कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी के नामित प्रतिनिधि भी भाग ले सकेंगे। इससे प्रशासनिक निर्णयों और जनप्रतिनिधियों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा। पार्षदों को यह सुविधा मिलेगी कि वे अपनी समस्याओं और क्षेत्रीय मांगों को सीधे तौर पर प्रशासन के साथ साझा कर सकें।
इस अधिनियम की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है कि अब सरकार द्वारा तय नियमों के तहत सीमित संख्या में दर्शकों को भी नगरपालिका की बैठकों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि यह अनुमति केवल मुख्य नगर पार्षद की स्वीकृति से होगी, लेकिन यह कदम लोकतांत्रिक पारदर्शिता की दिशा में अहम माना जा रहा है। इससे जनता को यह देखने का अवसर मिलेगा कि उनके प्रतिनिधि और अधिकारी किस तरह से निर्णय ले रहे हैं।
सभी निर्णय अब खुले तौर पर और नियमों के अधीन होंगे। मुख्य नगरपालिका अधिकारी की सीधी जिम्मेदारी तय होने से प्रशासनिक ढिलाई पर रोक लगेगी। पार्षद और प्रतिनिधि अब प्रशासनिक तंत्र में सीधे सहभागी होंगे। दर्शकों की उपस्थिति से नागरिकों में विश्वास और पारदर्शिता का वातावरण बनेगा। एक स्पष्ट जवाबदेही तंत्र से योजनाओं के कार्यान्वयन में गति आएगी।
बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम 2025 न केवल एक प्रशासनिक सुधार है, बल्कि यह बिहार की शहरी राजनीति और नागरिक प्रशासन में लोकतांत्रिक भागीदारी और जवाबदेही की नई शुरुआत है। यह कदम साबित करेगा कि जब प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर पारदर्शी ढंग से कार्य करते हैं, तो शहरी विकास और नागरिक सुविधाओं की दिशा में ठोस प्रगति संभव होती है।








