तेज प्रताप यादव एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचाने लौटे हैं। आरजेडी और अपने ही परिवार से बाहर निकाले जाने के बाद अब वे एक स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश में जुटे हैं। हाल ही में वे अचानक बिहार विधानसभा पहुँचे, जहाँ उनकी मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। चुनावी अटकलों के बीच यह कदम उनकी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को छह साल के लिए आरजेडी से निलंबित कर दिया था और यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अब वे पारिवारिक दायरे से भी बाहर हो चुके हैं। इसके बाद से तेज प्रताप लगातार यह संकेत दे रहे हैं कि वे न तो अकेले हैं और न ही राजनीति छोड़ने वाले हैं। उन्होंने ‘टीम तेज प्रताप यादव’ के नाम से सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है और नया झंडा भी जारी किया है, जो हरे और पीले रंग का है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे अपनी नई पार्टी की नींव रखने वाले हैं।
तेज प्रताप लगातार जनसंपर्क अभियान में लगे हैं। उन्होंने अपने सरकारी आवास में जनता दरबार लगाना शुरू किया है, जहाँ लोग उनसे मिलकर अपनी समस्याएं साझा कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी वीडियो कॉल के जरिए बातचीत की है, जिससे समाजवादी पार्टी से संभावित गठजोड़ की अटकलें लगाई जा रही हैं। यह कड़ी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अखिलेश यादव और तेज प्रताप की विचारधारा में कई समानताएँ हैं और दोनों ही पारिवारिक राजनीतिक विरासत से आते हैं।
तेज प्रताप की राजनीतिक गतिविधियों में अब एक नया चेहरा भी शामिल हो सकता है—अनुष्का यादव। कहा जा रहा है कि वे उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ दिख सकती हैं और संभवतः उनके राजनीतिक सफर की भागीदार भी बनेंगी। यह कदम तेज प्रताप की नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वे पारिवारिक छवि को भी राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि अभी तक उन्होंने अपनी नई पार्टी की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके कदम और भाषा स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि वे आगामी विधानसभा चुनावों में पूरी तैयारी के साथ उतरने वाले हैं। वे या तो एक नया दल बनाएंगे या फिर किसी क्षेत्रीय पार्टी या गठबंधन से हाथ मिला सकते हैं। आरजेडी से अलग होकर तेज प्रताप जिस रास्ते पर बढ़ रहे हैं, वह न केवल उनके लिए बल्कि बिहार की राजनीति के लिए भी एक नया मोड़ साबित हो सकता है।
तेज प्रताप यादव का यह नया अवतार, जहाँ वे पारंपरिक राजनीति से हटकर अपनी खुद की ब्रांडिंग कर रहे हैं, निश्चित रूप से आने वाले चुनावों में कुछ नया मोड़ ला सकता है। अब देखना यह है कि उनका अगला कदम क्या होता है—क्या वे एक नई पार्टी की घोषणा करते हैं, किसी गठबंधन का हिस्सा बनते हैं, या अकेले ही बिहार की राजनीति में अपने लिए जगह बनाते हैं।








