85वें अखिल भारतीय संसदीय सम्मेलन में 3 प्रमुख नेता नदारद, संसदीय गरिमा पर उठे बड़े सवाल

पटना में सोमवार यानी 20 जनवरी को आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारियों को 85वां सम्‍मेलन अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक रहा। यह सम्‍मेलन इसलिए भी ऐतिहासिक रहा कि विधान सभा में सदन के नेता और मुख्‍यमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष दोनों इसके उद्घाटन सत्र में शामिल नहीं हुए। संसदीय परंपरा और संसदीय मर्यादा को अक्षुण्‍ण बनाने के तरीकों पर विचार के लिए आयोजित सम्‍मेलन से संसदीय कार्य मंत्री भी गायब रहे। संसदीय परंपरा और गरिमा से जुड़े रहे तीनों प्रमुख पदधारकों ने इस सम्‍मेलन में भाग लेना आवश्‍यक नहीं समझा। इन तीनों की राजनीतिक विवशता या बाध्‍यता क्‍या थी, यह समझ से परे हैं। लेकिन इतना तय है कि तीनों पदधारकों का निर्णय लोकसभा और विधान सभाओं की मर्यादा की अनदेखी है। पटना सम्‍मेलन इतिहास में इसलिए भी याद किया जाएगा। यह बताना भी जरूरी है कि बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव और संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी हैं। नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर हैं, नेता प्रतिपक्ष संवाद यात्रा पर। संसदीय कार्यमंत्री आमतौर पर मुख्‍यमंत्री के साथ प्रगति यात्रा को संभालते नजर आ जाते हैं।

अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारी सम्‍मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत 12:30 बजे हुई। लोकसभा स्‍पीकर ओम बिड़ला ने 1:24 बजे अपना संबोधन शुरू किया। 25 मिनट के अपने संबोधन में उन्‍होंने संविधान के मूल्‍यों और भावनाओं के अनुरूप सदन के संचालन पर बल दिया। स्‍पीकर ने कहा कि सदन की गरिमा और संप्रभुता सर्वोच्‍च है। उन्‍होंने सदन की गरिमा और कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए दलों से अपने सदस्‍यों के लिए आचार संहिता बनाने की बात भी कही। श्री बिड़ला ने कहा कि संसद और विधान मंडलों की अपनी.अपनी स्‍वायतता है। उन्‍होंने स्‍वायतता का सम्‍मान करते हुए सामूहिकता के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया। स्‍पीकर ने संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही के डिजिटलीकरण से कार्यों में पारदर्शिता और सहजता आने की उम्‍मीद जताते हुए कहा कि एक प्‍लेटफार्म, एक देश और एक विधान का सपना जल्‍द ही साकार होगा।

राज्‍यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह अपने संबोधन में सीएम नीतीश कुमार के प्रवक्‍ता की भूमिका का निर्वाह करते रहे। उन्‍होंने अपने संबोधन को बिहार पर केंद्रित करते हुए नीतीश कुमार के कार्यों को राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में प्रस्‍तुत करने की कोशिश की। श्री हरिवंश ने बिहार के बदलाव की धारा को 2005 से जोड़ दिया। उन्‍होंने लोकसभा और विधान सभाओं में महिलाओं के आरक्षण को बिहार में पंचायत निकायों में महिलाओं के 50 फीसदी आरक्षण से जोड़ दिया। जबकि कई राज्‍यों में उससे पहले से पंचायत निकायों में महिलाओं को आरक्षण प्राप्‍त था। श्री हरिवंश नारायण सिंह ने भी तकनीकी बदलाव को फोकस करते हुए कहा कि ‘भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान हैं, जो विधायी संस्‍थाओं के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं’


उपमुख्‍यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपने संबोधन में सदन और सदन के बाहर विधेयकों पर विस्‍तृत विमर्श की आवश्‍यकता बतायी। साथ ही, संसदीय समितियों को सशक्‍त और सक्षम बनाने पर बल दिया। बिहार विधान सभा में 23 संसदीय समितियां हैं, जिसके सदस्‍य विधायक होते हैं। विधान सभा के स्‍पीकर नंदकिशोर यादव ने अतिथियों का स्‍वागत किया। उन्‍होंने बिहार में सम्‍मेलन के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि ‘पीठासीन पदाधिकारियों का सम्‍मेलन लोकतंत्र की मजबूती और जनप्रतिनिधियों के संवाद और समन्‍वय को बढ़ावा देने का माध्‍यम है’। श्री यादव ने उम्‍मीद जतायी कि 85वां सम्‍मेलन का निष्‍कर्ष भी लोकतांत्रिक मूल्‍यों को मजबूत करेगा।

उद्घाटन सत्र को विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, विधान सभा के उपाध्‍यक्ष नरेंद्र नारायण यादव और मंत्री श्रवण कुमार ने भी संबोधित किया गया। इस दौरान एमएल कौल और एसएल शकधर की पुस्‍तक ‘सदीय पद्धति एवं प्रकियाष’ के हिंदी के पांचवें और अंग्रेजी के आठवें संस्‍करण का लोकार्पण भी किया गया।

संसदीय पुस्तकालय प्रदर्शनी

सम्‍मेलन को लेकर विधान सभा का नजारा पूरी तरह बदला हुआ है। हर लॉबी को सजाया.संवारा गया है। पूरे गलियारे पर कारपेट बिछाया गया है। पुरानी और नयी बिल्डिंग के बीच में दो तरह की प्रदर्शनी लगायी गयी है। एक बड़ी प्रदर्शनी में पीठासीन पदाधिकारियों के सम्‍मेलनों से जुड़ी तस्‍वीर और सूचनाएं प्रदर्शित की गयी हैंए जबकि उसी के बगल में उद्योग विभाग की ओर से प्रदर्शनी लगायी गयी हैए जिसमें बिहार के हस्‍तशिल्‍प से जुड़ी कलाकृतियों और मुधबनी पेंटिंग आदि की प्रदर्शनी है।

सम्‍मेलन का सबसे बड़ा आकर्षण है संसदीय पुस्‍तकालय की ओर लगायी गयी पुस्‍तकों की प्रदर्शनी। हमने इस काउंटर से तीन किताबों की खरीदारी की। विधान मंडल के सभी सदस्‍यों के साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों को भी पुस्‍तकों की खरीदारी करनी चाहिए। इसमें कई तरह की पुस्‍तकें शामिल हैं। एक बार जरूर इस प्रदर्शनी को देखना चाहिए और खरीदारी करनी चाहिए।

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Abhishek Kumar is the editor of Nutan Charcha News. Who has been working continuously in journalism for the last many years? Abhishek Kumar has worked in Doordarshan News, Radio TV News and Akash Vani Patna. I am currently publishing my news magazine since 2004 which is internationally famous in the field of politics.


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