पिछले 72 घंटों के भीतर, इज़राइल ने व्यापक सैन्य कार्रवाई की है। यह कार्रवाई छह मुस्लिम देशों तक फैली हुई है। इनमें गाज़ा, सीरिया, लेबनान, क़तर, यमन और तुनीशिया शामिल हैं। इन हमलों के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में हताहत हुए हैं। लगभग 200 लोगों की जान चली गई। एक हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इज़राइल का दावा है कि ये हमले आतंकवादी ठिकानों को लक्षित करने के लिए किए गए थे। इस स्थिति पर संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस कार्रवाई पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। हालांकि, इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक मजबूत रुख अपनाया है। उनका कहना है कि इज़राइल ने वही किया है जो 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने किया था। यह बयान 9/11 की घटनाओं के संदर्भ में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उजागर करता है।

क़तर की राजधानी दोहा में एक विशेष एयर स्ट्राइक हुई। इसका मुख्य निशाना हमास के एक प्रमुख नेता खलील अल-हय्या थे। इस हमले के दुखद परिणाम हुए। खलील अल-हय्या के बेटे की मृत्यु हो गई। उनके कार्यालय निदेशक भी मारे गए। इसके अतिरिक्त, तीन सुरक्षा गार्ड और एक अन्य सुरक्षा अधिकारी इस हमले में हताहत हुए।
लेबनान के पूर्वी क्षेत्रों में भी इज़राइली हमले हुए। इन हमलों में पांच लोगों की मौत की सूचना मिली है। सीरिया में भी हवाई हमले किए गए। हालांकि, इन हमलों से किसी के हताहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

गाज़ा में स्थिति विशेष रूप से गंभीर रही। यहां हुए हमलों में लगभग 150 लोगों की जान गई। 540 से अधिक लोग घायल हुए। यह गाज़ा में मानवीय संकट को और बढ़ा सकता है।
यमन में भी सैन्य कार्रवाई हुई। साना शहर को निशाना बनाया गया। इस हमले में दस लोग मारे गए। 90 लोग घायल हुए।
तुनीशिया में एक ड्रोन हमला हुआ। यह हमला एक परिवार की नाव पर केंद्रित था। सौभाग्य से, इस घटना में किसी की जान नहीं गई। हालांकि, यह घटना क्षेत्र में बढ़ते तनाव को दर्शाती है।








