सांप का ज़हर बना जीवनरक्षक अमृत

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By Abhishek Kumar

सांप का विष बना इंसानों के लिए अमृत, लाखों लोगों की हर साल बचा रहा जान, रसल वाइपर की है सबसे कीमती

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भारत और दुनिया भर में हर साल लगभग 1,25,000 लोग सांपों के डंस से अपनी जान गंवा देते हैं। सांप का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय बैठ जाता है और वे इसके बारे में बात करने से भी कतराते हैं। हालाँकि, यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि जिस विष के कारण हर साल इतनी बड़ी संख्या में जानें जाती हैं, उसी विष का उपयोग अब जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण में किया जा रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञ स्वप्निल खताल, जिन्होंने इस क्षेत्र में 24 साल बिताए हैं, ने लोकल 18 के साथ अपनी बातचीत में इस विषय पर कई महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियाँ साझा कीं।

सांप के विष का दवाओं के निर्माण में उपयोग


स्वप्निल खताल बताते हैं कि सांप का विष मुख्य रूप से प्रोटीन से बना होता है। यह विष प्रकृति में हीमोटॉक्सिक, न्यूरोटॉक्सिक, मायोटॉक्सिक या साइटोटॉक्सिक हो सकता है। इन विषों में पाए जाने वाले विशेष प्रोटीन का उपयोग अब हृदयघात, स्ट्रोक, अल्जाइमर और पार्किंसन रोग जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रभावी दवाइयाँ विकसित करने में किया जा रहा है। यह उल्लेखनीय है कि केवल सांपों का विष ही नहीं, बल्कि बिच्छुओं और मकड़ियों के विष का भी दवा निर्माण में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।

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विशेषज्ञों के अनुसार, रसल वाइपर सांप का हीमोटॉक्सिक विष अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। यह विष रक्तचाप और रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया को सीधे प्रभावित करता है। वैज्ञानिक इसी गुण का लाभ उठाकर हृदय संबंधी बीमारियों के लिए नई और उन्नत दवाइयों के विकास पर गहन शोध कर रहे हैं।

सौंदर्य प्रसाधनों में भी विष का प्रयोग

आज के समय में, सांप के विष से निर्मित कई प्रकार की दवाइयाँ बाजार में उपलब्ध हैं और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार कर रही हैं। स्नेक वेनम का उपयोग केवल जान बचाने वाली दवाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रयोग कई सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों (कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स) में भी किया जा रहा है। दुनिया के कुछ सबसे महंगे और प्रतिष्ठित सौंदर्य उत्पादों में सांप के विष के घटकों को शामिल किया गया है। वर्तमान में, वैज्ञानिक कैंसर, ट्यूमर और ब्रेन हेमरेज जैसी जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए भी सांप के विष पर आधारित उपचारों के परीक्षण कर रहे हैं। इस शोध से भविष्य में इन गंभीर बीमारियों के इलाज में नई उम्मीदें जगी हैं।

Abhishek Kumar is the editor of Nutan Charcha News. Who has been working continuously in journalism for the last many years? Abhishek Kumar has worked in Doordarshan News, Radio TV News and Akash Vani Patna. I am currently publishing my news magazine since 2004 which is internationally famous in the field of politics.


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