पटना की सड़कों, मोड़ और चौक-चौराहों पर हर सुबह एक खास दृश्य देखने को मिलता है, सिर पर औजार, आँखों में उम्मीद और हाथों में हुनर लिए मजदूरों की भीड़। यह लोग दिहाड़ी श्रमिक हैं, जो आसपास के गांवों-कस्बों से रोजगार की तलाश में शहर आते हैं। पर विडंबना यह है कि इन्हें ना तो बैठने की जगह मिलती है, ना छांव, ना पानी, ना शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं। लेकिन अब इन मेहनतकश हाथों को थोड़ी राहत मिलने वाली है।
बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग ने राज्यभर के शहरी चौक-चौराहों पर श्रमिकों के लिए शेड (छाया स्थल) बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसका उद्देश्य है कि जहां दिहाड़ी मजदूर सुबह काम की आस में खड़े रहते हैं, वहां उनके लिए छाया, बैठने की सुविधा और पानी की व्यवस्था की जाए। यह कदम सामाजिक सम्मान और मानव गरिमा की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
अब तक जो श्रमिक रोज काम की तलाश में निकलते थे, उन्हें घंटों धूप, बारिश और धूल में खड़ा रहना पड़ता था। कई बार लंबा इंतज़ार करने के बाद भी काम नहीं मिलता, लेकिन बैठने की जगह तक नहीं होती। खासकर गर्मियों और बरसात में इनकी हालत बेहद दयनीय हो जाता है। ऐसे में शेड का निर्माण श्रमिकों के लिए सम्मान और सहूलियत का प्रतीक होगा।
श्रम संसाधन विभाग ने राज्य के हर जिले के प्रमुख लेबर चौकों की पहचान कर ली है। शुरुआत में पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, और आरा जैसे बड़े शहरों के व्यस्त चौराहों को प्राथमिकता दी जाएगी। फिर चरणबद्ध तरीके से अन्य शहरों और नगर पंचायतों में भी शेड बनाया जाएगा।
इन शेड्स में केवल छाया नहीं होगी, बल्कि इनमें बेंच, पेयजल, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट, सूचना बोर्ड और शौचालय तक की व्यवस्था करने की योजना है। इसके अलावा श्रमिकों को राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी देने के लिए हेल्पडेस्क भी बनाया जा सकता हैं।
इस पहल से जहां एक ओर श्रमिकों को राहत मिलेगी, वहीं समाज में यह संदेश जाएगा कि मेहनतकश हाथों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह पहल केवल एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, श्रम सम्मान और मानव गरिमा की बुनियाद रखती है।