पाकिस्तान: शांति की बातें, लेकिन शहबाज़ शरीफ की ज़ुबान पर लगाम नहीं!

 

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पाकिस्तान हमेशा से खुद को एक “शांतिप्रिय राष्ट्र” के रूप में पेश करता रहा है। हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके नेता यही दावा करते हैं कि पाकिस्तान कभी युद्ध नहीं चाहता, वह क्षेत्र में अमन-चैन चाहता है, और भारत से भी अच्छे संबंधों की कामना करता है। लेकिन कड़वा सच यह है कि पाकिस्तान की ज़ुबानी जमा-खर्च और उसकी ज़मीनी हकीकत में ज़मीन-आसमान का फर्क है।


ताज़ा मामला पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बयानों का है। उन्होंने हाल ही में भारत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पाकिस्तान को “धमकाया” नहीं जा सकता और यदि कोई युद्ध थोपा गया तो उसका जवाब “हर स्तर पर” दिया जाएगा। ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति पर कायम है, और जरूरत पड़ने पर एयर स्ट्राइक जैसे सख्त कदम उठाने में भी हिचकेगा नहीं — जैसा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक में दुनिया ने देखा।

शहबाज़ शरीफ की यह बयानबाज़ी न सिर्फ पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को उजागर करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि पाकिस्तान अब भी पुरानी आदतों से बाज़ नहीं आया है। भारत के खिलाफ ज़हर उगलना, आतंकियों को पनाह देना और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भी चरमपंथ को समर्थन देना, पाकिस्तान की विदेश नीति की रीढ़ बन चुकी है।

भारत की ओर से जब-जब बातचीत की कोशिश हुई, पाकिस्तान ने या तो आतंकी हमलों से उसका जवाब दिया या फिर कश्मीर को लेकर बेबुनियाद बयानबाज़ी शुरू कर दी। शहबाज़ शरीफ का ताज़ा बयान भी उसी सिलसिले की एक कड़ी है। इससे यह भी साफ होता है कि पाकिस्तान के भीतर सत्ता भले ही बदले, सोच नहीं बदलती।

आज भारत वैश्विक मंचों पर एक मजबूत देश के रूप में उभरा है — चाहे वह G20 की अध्यक्षता हो, UN में प्रभाव हो, या फिर दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियों में से एक बनना। वहीं पाकिस्तान आर्थिक दिवालियापन के कगार पर खड़ा है, IMF की शर्तों पर अपनी संप्रभुता गिरवी रख चुका है, और आंतरिक अस्थिरता से जूझ रहा है। ऐसे में भारत को धमकाने की उसकी कोशिश हास्यास्पद लगती है।

सच्चाई यह है कि पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि उसकी “डबल गेम” की नीति अब दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है। अगर वह वाकई में क्षेत्रीय शांति चाहता है, तो उसे पहले अपने घर में झाँकना होगा — वहां आतंक के कारखानों को बंद करना होगा, भारत विरोधी एजेंडे को त्यागना होगा और अपने नेताओं को संयमित भाषा का प्रयोग सिखाना होगा।

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भारत ने हमेशा शांति की बात की है लेकिन “शांति की बातें, तलवार के साए में नहीं होतीं।” पाकिस्तान को अब यह समझना होगा कि अगर वह बार-बार आग से खेलता रहेगा, तो उसे जलने से कोई नहीं बचा सकता — चाहे वो शहबाज़ हों या कोई और। भारत की चुप्पी को कमजोरी समझना भारी भूल होगी, क्योंकि नया भारत जवाब भी देता है और हिसाब भी रखता है।

Abhishek Kumar is the editor of Nutan Charcha News. Who has been working continuously in journalism for the last many years? Abhishek Kumar has worked in Doordarshan News, Radio TV News and Akash Vani Patna. I am currently publishing my news magazine since 2004 which is internationally famous in the field of politics.


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